वर्ष 2003 में खंदारी कैंपस के दाउदयाल इंस्टीट्यूट में रंगबाजी के विरोध में चर्चा से आए शिवराज ने 2004 में यूनिवर्सिटी कैंपस से छात्रसंघ चुनाव जीत सबको चैंकाया था। बड़े-बड़े छात्र संगठनों की रणनीतिक तलवारें भी उस 'समर' में भोंथरी साबित हुई थीं। उसकी जीत की सबसे बड़ी वजह उसका आम छात्रों में से एक होना माना गया न कि नेता, लेकिन बाद में देहाती पृष्ठभूमि के इस साधारण छात्र पर ढाबे पर उत्पात मचाने, कैंपस में फायरिंग और रंगबाजी समेत तमाम आरोप लगे।
मुझे याद है कि छात्रों की जायज मांगों के लिए कभी भी वह पीछे नहीं हटा। यहां तक कि बीफार्मा छात्रों के आंदोलन के दौरान विपरीत विचारधारा का होने के बावजूद उसने हमारे साथ धरने पर बैठने में गुरेज नहीं किया। यह छात्रों की बेबसी से उपजा गुस्सा था या व्यवस्था के प्रति आक्रोश, कह नहीं सकता लेकिन कुलपति या किसी अन्य अधिकारी से वार्ता के दौरान गरम हो जाना उसके लिए आम हो गया था। खैर शिवराज ने 'अलग राह' क्यों पकड़ी, उसके बारे में भी अलग-अलग मत हैं। कोई कहता है कि पुलिस के एक बर्खास्त दरोगा ने उसे जरायम की दुनिया दिखाई। वहीं कुछ लोग पैसे की लिए उसकी बढ़ती लालसा और जमीन के धंधे को इसकी वजह बताते हैं।
बात चाहे जो हो वह वैसा बिल्कुल नहीं था, जैसी उसकी छवि बन गई। एक बार उसके रूम पर जाना हुआ। वहां आजकल के लड़कों के कमरों की तरह दीवारों पर एक भी पोस्टर फिल्मी हीरोइनों का नहीं था। दिखी तो सिर्फ सादगी। बड़े भाई की तरह मुझे हमेशा सम्मान दिया। जब भी मिला आत्मीयता से मिला, और मुझसे ही क्यों शायद हर किसी के साथ उसका व्यवहार ऐसा ही था। छात्रों के हक़ और हुकूक की लड़ाई उसने कभी नहीं ख़त्म की, समाजवादी पार्टी छोड़ अपना खुद का छात्र संगठन बनाने के बाद भी ये क्रम बना रहा।
मुझे याद नहीं आता कि छात्रसंघ की छात्रा पदाधिकारियों समेत कैंपस की किसी अन्य लड़की से उसने छेड़छाड़ तो दूर बदतमीजी भी की हो। वह स्त्रियों का सम्मान करने वाला था और अपने स्याह जीवन में प्रेम विवाह कर उसने यह बात साबित भी की। अपने जीवन के अंतिम क्षणों में भी हमेशा की तरह ब्रांडेड कपड़ों में था। नवविवाहिता अंजना के लिए 40 गज जमीनी रंजिश में घटी यह घटना और उसके पति का क्षत-विक्षत शव दुखों के किसी पहाड़ जैसा था।
बहरहाल, छात्रसंध अध्यक्ष के रूप में लगभग पांच दशक बाद शिवराज चौधरी की हनक ने आगरा विश्वविद्यालय के कतिपय बाबुओं को जो छात्रों के शोषण के लिए जाने जाते थे, अपनी कार्यशैली बदलने पर मजबूर कर दिया। अरसे बाद आगरा में बनी छात्र राजनीति की यह हनक शायद अब शिवराज के साथ ही खत्म हो गई। आने वाली पीढ़ियों में छात्रसंघ अध्यक्ष तो और भी बनेंगे लेकिन शिवराज चौधरी और नहीं हो सकते।
hriday vidarak ghatana hai.......kintu jo rah shivraj chaudhary ne chuni thi wah isi manjil ki or jaati thi.....
ReplyDeleteek lamba samay juda hai mera shivraj ke sath...
kai ghatanayein judi hain .......
par insaan achha tha.....
param pita aatma ko shaanti pradan kare........
shivraj ki kahani wakai dukhad hai. boss ne aaj hi mujhe agra se phon par bataya. inext ne shivraj par special coverage de hai. jo net par mujhe bhi achhi lagi. kaatil ka live bayan bhi hai...police ne inext ki copy ko court dakhil bhi kiya hai.
ReplyDeleteबेशक, शिवराज ने छात्र राजनीति के मायने बदल दिए। असली छात्र का नेता बन जाना और फिर अपराधी, लेकिन शिवराज की मृत्यु दुख पैदा करती है।
ReplyDeleteajay ji namskar, blog par ek do post padi achchhi lagi. blog par tumehen padkar laga jaise maian kisi aur ajay ko pad raha hun. mujhe vah ajay nazar nahin aaya jo hamare saath agra me tha. haan yahan ye batadena jaruri samjhta hun ki ye badlav sakaratmak hain. kabhi milenge to baith kar lambi batchit hogi.
ReplyDeletetumhara
sushil raghav
Ajay - this is really heart breaking story. But the way you write is amazing. Keep on writing and it will impact on every one. The way you start and the way you end the story is the sign of great writer. Your Blog is very nice... Keep on writing and give awareness to other so they can see the another part of character like "Shivraj"
ReplyDeleteYours
Prashant Asthana
mene jab is khabar k bare me suna viswash nahi hua lekin vishwash karna pada mei shivraj se college mei kai bar mila lekin mene uske andar kabhi bhi galat aadat ko nahi paya lekin sayad uske dwara chuna gaya rasta galat tha aur uske sath aisa hua.shivraj k sath student leadership khatam ho gayi usne student ka sath har kadam par diya aisa leader sayad hi koi ban paye.bhagwan uski atma ko shanti de
ReplyDeleteyour
bhupendra singh
Yadav g unke andar kabhi bhi koi galat aadmi nhi tha or unhone jo rasta chuna vo isi liye chuna kyuki aaj ki is politics ki duniya m aise raste chunane vale hi kuch kr pate h or unhone apne liye ye rasta nhi chuna un tamam logon ke liye chuna jo unke pas visvas krke aate the ki ha ab hmara kam ho jayega. Galati to unhone ye kr di ki unhone ye rasta chhodne ka decision lia. Varna jo murderer tha vo bhi ek time tha jb dost tha. Ek nihatte aadmi pe gang m aake with guns usne aake kon sa bda kam kr diya kayaro ki pahchan hi yhi h....
Deleteshivraj varga munda etthe b h at sharda university sumit jaat
ReplyDeleteshivraj jesa chhatra neta sayad agra me koi fir nhi ho sakta its true shivraj ji mere bahut hi karibi the or bade bhai jese bhi the unse mene kabhi koi galat karya hote nhi dekha
ReplyDeletejjj
ReplyDeleteShivraj chaudhary is a good student leader ...
ReplyDeleteshivaraj was my best friend. He had not done any thing wrong in his life.His named was spoiled because of other peoples.
ReplyDeleteBhai Tha Apna Bahut Yaad Aata Hai ����
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