Monday, April 26, 2010

आदिवासी और अनादिवासी के बीच का फर्क

आदिवासियों के नाम पर अपना उल्लू सीधा करने वाले लोग यह नहीं जानते कि उन्हें आदिवासी कहकर वह पश्चिम की उस धारणा को और मजबूत करते हैं, जिसमें माना जाता है कि आर्य भारत के मूल निवासी नहीं थे, वह बाहर से आए थे और यहां आकर बस गए। अनजाने में वह उन्हें आदिवासी कहकर खुद को अनादिवासी मान लेते हैं। वास्तव में कोई कहां से आया यह महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि किसी के दिल में यह देश कहां बसता है और वह अपने लोगोें के हित में कैसा और कितना सोचता है यह महत्वपूर्ण है। भलमनसाहत की इसी नीयत पर जब सवाल उठते हैं तो शायद कहीं न कहीं सलवा जुडूम जैसी उन कोशिशों को धक्का लगता है, जो आदिवासी और अनादिवासी के बीच के इस फर्क को कम करने के लिए लगातार जारी हैं।

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